दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
चिराग कोई जलाओ की हो वजूद का एहसास,
इन अँधेरों में मेरा साया भी छोड़ गया मुझको !!!
क्यों मरते हो यारो सनम के लिए,ना देगी दुप्पटा कफ़न के लिए,मरना है तो मारो वतन के लिए,तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए.
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……