अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!
चले आज तुम ज़हां से ह्ई ज़िन्दगी पराई...!तुम्हे मिल गया ठिकाना हमे मौत भी ना आई...!!ओ दूर के मुसफिर हमको भी साथ लेले रे...हमको भी साथ लेले हम रह गये एकले.....!!!
आज उसकी एक बात ने मुझे मेरी गलती की यूँ सजा दी…
छोड़ कर जाते हुए कह गई,
जब दर्द बर्दाश्त नहीं होता तो मुझ से मोहब्बत क्यूँ की….!!!!
उसके साथ जीने का इक मौका दे दे, ऐ खुदा..
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे..
न सोचा मैंने आगे,
क्या होगा मेरा हशर,
तुझसे बिछड़ने का था,
मातम जैसा मंज़र!