वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,डरता है दिल उनकी रुसवाई से,और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते |
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
सुना है, खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए,
कुछ तो वापस चले गए, और कुछ हमारे यार हो गए
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से