भारी गर्मी पड़नी शुरु हो गयी है,
और लड़कियाँ “सुलताना डाकू” बने घुमने लगी है…
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कभी कभी तो पता नहीं चलता है कि
साला ये अपना इलाका है या
“चंबल के डाकू” का… ?
भवरें झूमेंगे जब तक फूलों की डाल पर..देता रहूँगा शुभकामनाएँ तुम्हे हर नए साल पर।
बड़ी गरज से चाहा है तुझे
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे
तुझे भूलने की सोचूं भी तो कैसे
किस्मत की लकीरों से चुराया तुझे
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..
हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..