सुनी थी सिर्फ हमने ग़ज़लों में जुदाई की बातें ;
अब खुद पे बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ !!
ना ठुकरा मेरी दोस्ती मुझे गरीब समज कर ए दोस्त,
यह दौलत वाले खरीदार तो होते है,
लेकिन वफादार नही
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
मंजिले आसान सारे मुस्किले वे नूर हो !
दिल की जो हो तम्मना वो हमेशा दूर हो !!
लब पे लब की बात हो, खुशियों में सिमटी जिन्दगी !
गम भरी पारछाइया आँचल से लाखो दूर हो !!
भुलाया उनको जाता है जो दिमाग में बसते है,
दिल में बसने वालो को भूलना नामुमकिन है!!