आँधियो से कह दो की "औकात" में रहे,इस हफ्ते में तीसरा "कच्छा" गायब हुआ है...!!!
जिंदगी में तपिश कितनी भी हो कभी हताश मत होना
क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो समंदर कभी सूखा नहीं करते
आ बिछड़ने का कोई और तरीका ढूंढें
प्यार बढ़ता है मेरी जां खफा रहने से
Wo awaaz jo waqt ke dhalne se, Dhaltee nahin,
Wo chain-o-sukun, Jo kisi ibadat mein milti nahin,
Suron mein jashn aisi,Jo jalwon mein dikhti nahin,
Na sune inke naghme, Subah-shaam dhalti nahin,
Rooh ki pyaas itnee, Jo is dard-e-dil se mitti nahin..
खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।डाक से आया है तो कुछ कहा होगा"कोई वादा नहीं... लेकिनदेखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!"या कहा हो कि... "खाली हो चुकी हूँ मैंअब तुम्हें देने को बचा क्या है?"सामने रख के देखते हो जबसर पे लहराता शाख का सायाहाथ हिलाता है जाने क्यों?कह रहा हो शायद वो..."धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!"सामने रौशनी के रख के देखो तोसूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं"इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायदशहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!"उसने भी वक्त के हवाले सेउसमें कोई इशारा रखा हो... याउसने शायद तुम्हारा खत पाकरसिर्फ इतना कहा कि, लाजवाब हूँ मैं!