हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था ।
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ।!!
Labo se tut gaye guftagu ke sab rishte
wo dekhta hei to bas dekhta hi rahta hei..
Meri yadon se agar bach niklo to waada mera hai tumse,
Main khud duniyaa se keh doon ga ke kammi meri wafaa mein thi..!
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।