कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
लाखों तूफान उठे है इस दिल में
तुजे देखने के बाद
काश
जुल्फों की काली घटाओं से ढक पाऊ
ये चाँद सा चेहरा तेरा
ये मेरा दिवानापन है,या मोहब्बात का सुरूर....!तू ना पहचाने तो है ये तेरी नाजरों का कुसूर....!!बसने लगी आँखों में कुछ ऐसे सपने...कोई बुलाये जैसे नैनों से अपने...!!!
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।