Kapil Sharma: राहत साहब, पाकिस्तानियो को कश्मीर राग के अलावा' कोई' और राग सिखाइए न....Rahat Fateh Ali Khan: कोशिश की थी भाई, सब के सब बे-सुरे है...
न सोचा मैंने आगे,
क्या होगा मेरा हशर,
तुझसे बिछड़ने का था,
मातम जैसा मंज़र!
परेशानी का कोई पैमाना नही होता"साहब"..कुछ लोग तो यही सोचकर परेशान रहते हैये सामने वाला दिनभर मोबाइल में करता क्या है!
एक रोस उनके लिएजो मिलते नही रोज़-रोज़,मगर याद आते है हर रोज़ |
आपकी यादें भी हैं, मेरे बचपन के खिलौनो जैसी ..
तन्हा होते हैं तो इन्हें ले कर बैठ जाते हैं…!