आज का ज्ञाननींद के पीछे मत भागो भागना है तो पढाई के पीछे भागोनींद झक मारके आयेगी|
इसी कशमकश में गुजर जाता है दिन
कि तुमसे बात करूं
या तुम्हारी बात करूं
पलकों से रास्ते के काटे हटा देंगे,
फूलों को क्या हम अपना दिल बिछा देंगे।
टूटने ना देंगे अपनी दोस्ती को कभी,
बदले में हम खुद को मिटा लेंगे।।
उड़े पतंग आसमान में सबकी निराली
पीली, लाल, हरी, नीली और काली
आओ मिलकर हम सब वसंत मनाएं
द्वार पर अपने रंगीली रंगोली सजाएं
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।