हमारे माँ – बाप हमको बचपन में शहजादों की तरह पालते हैं..लिहाज़ा…
हमारा ये फ़र्ज़ बनता है,,उनके बुढ़ापे में उनको बादशाहों की तरह रखें!
संता – भाई तू स्कूल क्यों नहीं जाता है
बंता – अरे जाता हूँ
लेकिन लोग मुझे मार के बाहर निकाल देते हैं
संता – क्यों भाई ?
कौन से स्कूल जाता है ?
बंता – कन्या पाठशाला
दारू की खुशबू, बियर की मिठास..!!गांजे की रोटी, चरस का साग..!!भांग के पकोड़े, अफीम का प्यार..!!मुबारक हो आपको नशेड़ियों का त्यौहार!
ये फूल ये खुशबू ये बहार !
तुमको मिले ये सब उपहार !!
आसमा के चाँद और सितारे !
इन सब से तुम करो सृंगार !!
तुम खुश रहों आवाद रहों……
खुशियों का हो ऐसी फुहार !
हमारी ऐसी दुआ हैं हजार !!
दामन तुम्हारा छोटा पर जाए !
जीवन में मिले तुम्हे इतना प्यार !
पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता
पेड़ हमेशा जड़ काटने से सूखता है……..
वैसे ही इंसान अपने कर्म से नहीं
बल्कि अपने छोटी सोच और गलत व्यवहार से हारता है……!!