उम्र की राह में जज्बात बदल जाते है।वक़्त की आंधी में हालात बदल जाते हैसोचता हूं काम कर-कर के रिकॉर्ड तोड़ दूं।कमबख्त सैलेरी देख के ख्यालात बदल जाते हैं
देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रादेखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
इस तरह से तो ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारत कोभी नहीं लूटा होगा........जिस तरह से आजकल की लड़कियाँ अपनेबॉयफ्रेंडो को लूटती है..
हे ईश्वर… बस एक छोटी सी दुआ है,
जिन लम्हों में, मेरे अपने मुस्कुराते हो…
वो लम्हे कभी ख़त्म न हो…
तुम मुझे कभी दिल, कभी आँखों से पुकारो ग़ालिब,
ये होठो का तकलुफ्फ़ तो ज़माने के लिए है|