बन्ता : क्या कर रहे हो ???सन्ता : बदला ले रहा हूँ..??बन्ता : किससेसन्ता : वक़्त ने मुझे बर्बाद किया है . . .मैं अब वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ..
चौदहवीं रात के इस चाँद तलेसुरमई रात में साहिल के क़रीब दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
किसी गरीब की झोली में,
जब मैंने एक सिक्का डाला,
तब पता चला कि –
महंगाई के इस दौर में,
दुआएं, आज भी कितनी सस्ती हैं।
हाथ में घडी कोई भी हो, लेकिन वक़्त अपना होना चाहिए
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती
और ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती