वक्त के साथ साथ सब कुछ ठीक हो जाता है,
पर यादें मरते दम तक साथ नहीं छोड़ती है !
तुझे चाहा रब से भी ज्यादा फिर भी ना तुझे पा सकेरहे तेरे दिल में मगर तेरी धडकन तक ना जा सकेजुड़के भी तुटी रहि ईश्क कि डोर वेकिस्मत के मारे असी कि करीये किस्मत पे किसका जोर
काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता,में होश में होकर भी अंजान नही होता,ये प्यार ना होता, किसी पत्थर दिल से,या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता!
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा