ना__किसी__के
आभाव__में__जीता__हूँ!!
ना__किसी__के__
प्रभाव__में__जीता__हूँ!!
ज़िन्दगी__मेरी__है!!
बस__अपने__मस्त__👌
स्वभाव__में__जीता__हूँ!😎
ऐसा नहीं था कि इस दिल में तेरी तस्वीर नहीं थी
लेकिन इन हाथों में तेरे नाम की लकीर ही नहीं थी
उसके नर्म हाथों से फिसल जाती है चीज़ें अक्सर ….,
मेरा दिल भी लगा है उनके हाथो , खुदा खैर करे …
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.