“संघर्ष प्रकृति का आमंत्रण होता है इसे जो इंसान
स्वीकार करता है वही जीवन में आगे बढ़ पाता है”
अगर आप नेक इंसान हो और लोग आपको बुरा कहे तो चलेगा,
क्यूँकि यह इससे कही अच्छा है कि तुम बुरे हो और लोग तुम्हें अच्छा कहे.
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
पैसे से बिस्तर खरीदा जा सकता है, नींद नहीं
पैसे से महल खरीदा जा सकता है लेकिन खुशियाँ नहीं