“मोती कभी भी किनारे पर खुद नहीं आते उन्हें
पाने के लिए हमें खुद समंदर को करना पड़ता है”
मैं आप उस इंसान को ढूंढ रहे हैं
जो आके आपकी मदद करेगा
तो शीशे के सामने खड़े हो जाएँ
आपको वो इंसान नजर आएगा
जो आपकी मदद कर सकता है
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं