रोज खुद से की उनकी बातें,
उनसे कभी कुछ कह ना सका...
हमे बेवफा बोलने वाले
आज तू भी सुनले,
जिनकी फितरत ‘बेवफा’
होती है,
उनके साथ कब ‘वफा’ होती है!!
मतलब की दुनिया थी इसलिए छोड़ दिया सबसे मिलना,
वरना ये छोटी सी उम्र तन्हाई के काबिल नही थी।
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा