एक चाहत होती है,अपनों के साथ जीने की,वरना पता तो हमें भी है,कि मरना अकेले ही है,मित्रता एवं रिश्तेदारी ‘सम्मान’ की नही ”भाव” की भूखी होती है,बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,दिमाग से नही।
एक चाहत होती है,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है,
कि मरना अकेले ही है,
मित्रता एवं रिश्तेदारी ‘सम्मान’ की नही ”भाव” की भूखी होती है,
बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,
दिमाग से नही।
जब भक्ति भोजन में मिलती है, तो प्रसाद बन जाता है,
जब पानी में मिलती है, तो चरणामृत बन जाता है,
जब घर में मिलती है, तो मंदिर बन जाता है,
जब व्यक्ति में मिल जाता, तो वह भक्त बन जाता है।
सपने तो मेरे थे पर उनको पूरा करने का रास्ता
कोई और दिखाए जा रहा था और वो थे मेरे पापा….
आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती,
तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती.
Suruaat Se Dekhne Ki Aadat He Hume..Chahe Vo Film Ho Ya Dushman Ki Barbadi..