पैसों से इन्सान सब कुछ नहीं खरीद सकताजैसे मरे हुए को जिंदा करना
पैसों से इन्सान सब कुछ नहीं खरीद सकता
जैसे मरे हुए को जिंदा करना
Suruaat Se Dekhne Ki Aadat He Hume..Chahe Vo Film Ho Ya Dushman Ki Barbadi..
खुद की पर्वा किए बिना दिन रात अन्न उपजाता है, सलाम है इस धरती माँ के पुत्र को जिसके कारण हमारा जीवन मुस्काता है।
छत टपकती हैं, .. उसके कच्चे घर की……
फिर भी वो किसान करता हैं दुआ बारिश की..
Hum toh fanaah ho gaye uski ankhen dekh kar Ghalib,Na jane woh Aaina kaise dekhte honge.
कामयाबी उन्ही लोगों के कदम चूमती है, जो अपनें फ़ैसलों से दुनियाँ बदल कर रख देते हैं और नाकामयाबी उन लोगों का मुकद्दर बन कर रह जाती है जो लोग दुनियाँ के डर से अपनें फैसले बदल दिया करते हैं|