खिड़की से झांकता हूँ मै, सबसे नज़र बचा कर
बेचैन हो रहा हूँ, क्यों घर की छत पे आ कर
क्या ढूँढता हूँ, जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ, शायद मोहब्बत हमको भी हो गई।
स्टाइल तो सिर्फ शौक के
लिए है, वरना लोगो के
लिए मेरी नशीली आँखों
के इशारे ही काफी है!!
बर्बाद कर दिया मुझे,
तेरी इन मस्त निगाहों ने,
सौ साल जी लेते,
अगर दीदार-ऐ-हुस्न तेरा ना किया होता…
तेरे सीने से लगकर तेरी आरजू बन जाऊँ,
तेरी साँसो से मिलकर तेरी खुश्बू बन जाऊँ,
फासले ना रहें कोई तेरे मेरे दरमिआँ,
मैं...मैं ना रहूँ बस तू ही तू बन जाऊँ।
तुम्हारे मिलने के बाद नाराज़ है रब्ब मुझसे,
क्योंकि मैं उनसे अब और कुछ मांगता ही नहीं