इदारे अनेक हो, तो सोच बदल जाती है, प्यार साथ हो तो दुनिया की रौनक बदल जाती है,
ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से, बंदा डरता है तो सिर्फ अपने बाप की मार से।
कितना दर्द हैं दिल में दिखाया नही जाता,
गंभीर हैं किस्सा सुनाया नही जाता,
विडियो कॉल मत कर पगली,
रजाई में से मुहँ निकाला नही जाता...
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
ऐसा नहीं था कि इस दिल में तेरी तस्वीर नहीं थी
लेकिन इन हाथों में तेरे नाम की लकीर ही नहीं थी