कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
तू मुहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो अब तक बाँहों में होती
गलत सुना था कि
मोहब्बत आँखों से होती है,
दिल तो वो भी चुरा लेते हैं
जो पलकें नहीं उठाते!!
ज़ुल्म इतना ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा…!!
हमने ज़माने को तुझे अपनी “ जान ” बता रक्खा है…!!
मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है !
खुद बेवफ़ा हो के मुझसे वफ़ा मांग रहा है !!