नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिये,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
तुम्हे हक है अपनी जिन्दगी जैसे चाहे जीयो तुम,
ज़रा एक पल के लिये सोचना मेरी ज़िन्दगी हो तुम….॥
तुम्हारे प्यार का मौसम
हर मौसम से प्यारा है
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो.. मुझे भूल नहीं पाओगे!