बचपन में सब बहुत सही था यार..
ना फैशन का टेंशन,और ना ही
पढाई का,
पूरा दिन बस नंगा घूमो खाना खाओ
और रोते रहो....!!
टीचर – अच्छा तो बच्चों
आज मैं तुम्हारा टेस्ट लूंगी
टीचर – बंटू कबीर दास का
एक दोहा सुनाओ
बंटू –
कबीर दास है बाबरो, दोहा गयो बनाय
खुद तो कबको चली गयो, हमको गयो फसाय
टीचर बेहोश
ताऊ : कुत्तो आयो है जा एक रोटी लियाताई : रोटी तो नी हैताऊ : तो लठ लिया खाली नी जावा दांगा।
अगर आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और उसके बाद भी आपने अपने फोन में रोमांटिक गाने भर रखे है तो आप गज़ब वाले आशावादी इंसान है
जिदंगी typing... और emoji के बीच ही उलझ कर रह गयी यार..