वफा क्या होती है?
काश तुम जान जाती ...
ना हम, ना तुम अकेली होती ।
फेर लेते हैं नज़र, दिल से भुला देते हैं,
क्या यूँ ही लोग वाफ़ाओं का सिला देते हैं,
वादा किया था फिर भी ना आए मज़ार पर,
हमने तो जान दी थी इसी ऐतबार पर!!
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद!!
बेवफाओं की दुनिया से लफ्जों को आज भी शिकायत है......जान बूझ कर इस्तेमाल नहीं करते, फिर लगाते तोहमत है . ! !
Magar
rani sirf badsah ki hi hoti haii..