जो “प्राप्त” है वो ही “पर्याप्त” है ।
इन दो शब्दों में सुख बे हिसाब हैं।।
कब आपकी आँखों में हमें मिलेगी पनाह, चाहे इसे समझो दिल्लगी या समझो गुनाह, अब भले ही हमें कोई दीवाना करार दे, हम तो हो गए हैं आपके प्यार में फ़ना।
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!
आपने नज़र से नज़र कब मिला दी, हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी, जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके, पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी!
Dil Ki Dahleez Par Rakh Kar Teri Yaadon Ke Chiraag
Humne Duniyan Ko Mohabbat Ke Ujaale Bakhshey