चेहरे अजनबी हो भी जाये तो कोई बात नहीं लेकिन...रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते है..
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
हाथ में घडी कोई भी हो, लेकिन वक़्त अपना होना चाहिए
हम क्या कर चुके हैं
इससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है
कि अभी क्या करना बाकि है
– मैरी क्यूरी
दुनिया में सब चीज मिल जाती है,….
केवल अपनी गलती नहीं मिलती…..