बहुत सुन्दर शब्द सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो |प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो |सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो |बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो |समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो |रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!
मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था ।
समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…
तू मुहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो अब तक बाँहों में होती