रूह ने कई बार मुझ से अकेले में कहाजी लिए हो तो चलो जिस्म बदल कर आयें
लगता है मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर …
मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी यूँ ही तो नहीं है …
मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा,
यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत…
मन करता है जो दर्द है दिल में
बयां कर दूँ हर दर्द तुझसे ,
अब ये दर्द छुपाए नहीं जाते
लेकिन नहीं कह सकता कुछ तुझसे
क्योंकि दिलो के दर्द दिखाए नहीं जाते ……