जिसे कोयल समझा वो कौवा निकला,
दोस्ती के नाम पर हौवा निकला,
जो रोकते थे हमें शराब पीने से,
आज उन्हीं की जेब में पौवा निकला।
जब होता है तुम्हारा दीदार, दिल धड़कता है बार-बार,
आदत से मजबूर हो तुम, न जाने कब मांग लो उधार।
धोखा मिला जब प्यार में हमे, ज़िन्दगी में उदासी छा गयी,
सोचा था छोड़ देंगे प्यार करना, पर आज मोहल्ले में दूसरी आ गयी।
न चांद होगा ना तारे होंगे,क्या हम इस साल भी कुंवारे होंगे ,इस दुनिया में कितनों के निकाह हो गए ,क्या हमारे नसीब में सिर्फ निकाह के छुहारे होंगे।
ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से, बंदा डरता है तो सिर्फ अपने बाप की मार से।
आँखो से आँखे मिलाकर तो देखो,
एक बार हमारे पास आकर तो देखो,
मिलना चाहेंगे सब लोग तुमसे,
एक बार मेरे दोस्त साबुन से नहाकर तो देखो।