टीचर – अच्छा तो बच्चों
आज मैं तुम्हारा टेस्ट लूंगी
टीचर – बंटू कबीर दास का
एक दोहा सुनाओ
बंटू –
कबीर दास है बाबरो, दोहा गयो बनाय
खुद तो कबको चली गयो, हमको गयो फसाय
टीचर बेहोश
इश्क ने तेरी जिंदगी से मेरी पहचान कराई है
प्यार ही जिंदगी है यह बात मुझे समझाई है
बस कभी बुझे ना ये समां मोहब्बत की सनम
जो मैंने तेरे और तूने मेरे दिल में जलाई है
मुबारक हो तुम्हे नववर्ष का महिना !
चमको तुम जैसे फागुन का महिना !!
पतझर न आये तेरी जिन्दगी में !
यही हैं दोस्त अपनी तम्मना !!
चाहता कौन है बेवफ़ायी करना
उसने परिवार सम्भाला होगा
यही सोच कर समझाता हूँ ख़ुदको
मजबूर होकर मुझे दिल से निकाला होगा