हाल तुझे मैं अपना बताऊँ कैसे,
चीर के दिल तुझे अपना दिखाऊँ कैसे,
है रोना वही हमेशा का अभी भी,
दास्ताँ मैं अपनी फिर दोहराऊँ कैसे,
ग़म की अपनी बातें तुझे सुनाऊँ कैसे,
मेरी ख़ामोशी में ही तेरी मोहब्बत है,
अपने इन लब्ज़ों को मैं हिलाऊं कैसे ||
दिल अब बस तुझे ही चाहता है,तेरी यादों में ये खो जाता है,लग गयी है इस में इश्क की आग ऐसी.के तेरे होंठो को चुमने को दिल चाहता है.
चेहरे पर हंसी छा जाती है,
आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है।
नज़रें मिल जाएं तो प्यार हो जाता है,
पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,
कि कोई अनजान भी...
लाखों तूफान उठे है इस दिल में
तुजे देखने के बाद
काश
जुल्फों की काली घटाओं से ढक पाऊ
ये चाँद सा चेहरा तेरा