वसंत ऋतु की बहार,
चली पिचकारी उड़ा है गुलाल,
रंग बरसे नीले हरे लाल,
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार
यह कैसी घटा छाई हैं
हवा में नई सुर्खी आई है
फ़ैली है जो सुगंध हवा में
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
नेचर का हर रंग आप पे बरसे
हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे
रंग दे आपको मिल के सारे इतना
की आप वो रंग उतारने को तरसे
भोले की भक्ति में मुझे डूब जाने दो
शिव के चरणों में शीश झुकाने दो
आई है शिवरात्रि मेरे भोले बाबा का दिन
आज के दिन मुझे भोले के गीत गाने दो
सारा जगत है प्रभु तेरी शरण में
सर झुकाते हैं शिव तेरे चरण में
हम बनें भोले की चरणों की धूल
आओ शिव जी पर चढ़ायें श्रद्धा के फूल