ए चांद, तू उनको मेरा पैगाम कह देना
खुशी का दिन और हंसी की शाम देना
जब वो देखे तुझे बाहर आकर
उनको मेरी तरफ से ईद मुबारक कह देना |
Kitnaa khouf hota hai shaam ke andheroo mein,
Poonch un parindoo se jin ke ghar nahi hote.
Us Fiza Mein Bhi Jalta Raha
Mein Kisi Ke Liye…..
Jaha Charaag Bhi Taraste They Roshni Ke Liye…
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….!!
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।