अगर भरोसा उपरवाले पर है,
तो लिखा तक़दीर में है वही पाओगे,
मगर भरोसा अगर खुद पर है,
वाही पाओगे जो आप चाहते हो।
तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया
स्टाइल तो सिर्फ शौक के
लिए है, वरना लोगो के
लिए मेरी नशीली आँखों
के इशारे ही काफी है!!
मुझे ना सताओ इतना कि मैं रुठ जाऊं तुमसे,
मुझे अच्छा नहीं लगता अपनी साँसों से जुदा होना।