मेरी कोशिश हमेशा ही
नाकाम रही..
पहले तुझे पाने की अब
तुझे भुलाने की...
ये मुहब्बत कब, किससे हो जाये इसका अंदाजा नहीं होता
ये वो घर है जिसका कोई दरवाजा नहीं होता
Bin tere mujko Zindagi se khauff lagta hai
Kisto Kisto mein marr raha hu aisa roz lagta hai…
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
शायरी सर्दी की ठिठुरती रात में फुटपाथ पर अरमान है
दिलबर मुझे छोड़के किसी और पे मेहरबान है.....