जब हम गलत होते हैं,
तो समझौता चाहते हैं
और दूसरे गलत होते हैं...तो
हम न्याय चाहते हैं।
भूल होना प्रकृति है,
मान लेना संस्कृति है,
और सुधार लेना प्रगति है।
सुप्रभात
सुबह-सुबह सूरज का साथ हो,
गुनगुनाते परिंदों की आवाज़ हो,
हाथ में चाय का कप, और यादों में कोई ख़ास,
उस खूबसूरत सुबह की पहली याद आप हो।
जीवन की वास्तविकता बस इतनी सी है
बचपन मे होम वर्क जवानी मे होम लोन और बुढापे में होम अलोन
ही रह जाता है...
सुप्रभात!
फूलों सी प्यारी,हो हर सुबह तुम्हारी,बस यही है गुज़ारिश,हो हर ख़्वाहिश पूरी तुम्हारी।
फूलों सी प्यारी,
हो हर सुबह तुम्हारी,
बस यही है गुज़ारिश,
हो हर ख़्वाहिश पूरी तुम्हारी।