भारी गर्मी पड़नी शुरु हो गयी है,
और लड़कियाँ “सुलताना डाकू” बने घुमने लगी है…
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कभी कभी तो पता नहीं चलता है कि
साला ये अपना इलाका है या
“चंबल के डाकू” का… ?
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
सोचा था हर मोड़ पर तुम्हारा इंतजार करेंगे,सोचा था हर मोड़ पर तुम्हारा इंतजार करेंगे,मगर कम्बखत साली सड़क ही सीधी निकली ||
हाथ पर घड़ी कोईभी बँधी हो,
लेकिन वक़्त अपनाहोना चाहिए!!