इंकार को इकरार कहते है,खामोशी को इज़हार कहते है,क्या दस्तूर है इस दुनिया का,एक खूबसूरत सा धोखा है,जिसे लोग ‘प्यार’ कहते है..
“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं”….
Humne to khud se inteqam lia ,
Tumne kya soch kar humse mohabbat ki?
वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी,
इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने..
लगता है मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर …
मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी यूँ ही तो नहीं है …