मेरी शायरी में सनम तेरी कहानी हैजिसके आधे हिस्से मे तेरा ज़िक्र आधे में मेरी दीवानगी है.
Umeedon Ki Manzil Toot Gayi;
Aankho Se Ashqo Ki Dhara Beh Gayi;
Arre Tumhari Bhi Kya Ijjat Reh Gayi;
Jab Class Main Ladki Bhaiya Keh Gayi!
मैंने कुछ इस तरह से खुद को संभाला है,
तुझे भुलाने को दुनिया का भरम पाला है,
अब किसी से मुहब्बत मैं नहीं कर पाता,
इसी सांचे में एक बेवफा ने मुझे ढाला है..
उसको चाहा पर इजहार करना नही आया,
कट गयी उम्र हमें प्यार करने नही आया,
उसने कुछ माँगा भी तो मागी रजाई,
और हमे इंकार करना नही आया....