ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..
मिलने का वादा कर गयी थी,
वापस लौट आउंगी ये कहकर गयी थी,
आई है अब वो जनाज़े पे मेरे,
वादा वो अपना निभाने चली थी!!
वो शायद मतलब से मिलते हैं,
मुझे तो मिलने से मतलब है.!
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |