तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलोबहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता हैमैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो
उलझा रही है मुझको,यही कश्मकश आजकल..!!तू आ बसी है मुझमें,या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
उलझा रही है मुझको,
यही कश्मकश आजकल..!!
तू आ बसी है मुझमें,
या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँ??
इंसान सबसे ज्यादा तब खुश होता है, जब रेलवे फाटक बंद हो रहा हो और उसके पहले वो अपनी गाड़ी तुरंत-फुरंत निकाल ले... कसम से इसके बाद ओलिंपिक रेस जीतने वाली फीलिंग होती है।
इस गर्मी का आलम बस ...इतना समझ ले ग़ालिब....कपडे धोते ही सुख जाते है ।और पहनते ही गीले हो जाते है ।।