शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
हमें तुमसे मोहब्बत न होती,,
सिर्फ दो ही हालत में…
या “तुम” बने न होते,
या ये दिल बना न होता…
बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई होती है…
जैसे ही ये आता है.फ़ालतू के दोस्त विदा हो जाते हैं…!!!
क्लास में आख़िरी बेन्च पर जो कुरेद कर तुम्हारा नाम लिखा था,
ज़िन्दगी की सब से लम्बी कहानी वही तो थी ….
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।