मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते चाहे लाख दूरी होने पर,
यहाँ लोगो के भगवान बदल जाते है एक मुराद ना पूरी होने पर|
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती
घमंड ही नहीं गुरुर है अपने किसान होने का।
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।