एक पल का एहसास बनकरआते हो तुम दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम जानते हो की लगता है डर तन्हाइययों से फिर भी बारबार तन्हा छोड़ जाते हो तुम..
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।