इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये..कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू भी ग़ालिब होता।
सफलता का कोई पैमाना नहीं होता –
एक गरीब बाप का बेटा बड़ा होकर ऑफिसर बने पिता के लिए यही सफलता है।
जिस इंसान के पास कुछ खाने को ना हो वो सुख पूर्वक 2 वक्त की रोटियां जुटा ले ये भी सफलता है
एक दिन सागर ने नदी से पुछा- कब तक मिलती रहोगी मुझ खारे पानी से।
नदी ने हस कर कहा – जब तक तुझमे मिठास न आ जाये।
बनकर तेरा साया तेरा साथ निभाउंगी,तु जहा जाएगा में वहाँ-वहाँ आऊँगी,साया तो छोर जाता है साथ अँधेरे में,लेकिन में अँधेरे में तेरा उजाला बन जाउंगी !!
लोगों को पता नहीं कैसे सच्चा
प्यार मिल जाता है...
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हमें तो सुबह पलंग के नीचे
उतारी चप्पल नहीं मिलती।
😝😝